Wednesday, 23 August 2023

पाती

मेरे लिए  वो महज 
कागज का टुकडा नहीं था 
 दिल निकाल  कर रख दिया था मानों 
  एक -एक शब्द  प्रेम रस में पग़ा  था
   प्रेम  की ही स्याही थी 
     कलम भी प्रेम की...
     शब्दों को प्रेम रस में 
     डुबो -डुबो कर 
      बड़े जतन से 
      उस कागज पर 
      सजाया था 
        पता नहीं 
        तुमने पढा भी 
        या नहीं 
         या उडा दिया 
         चिंदी-चिंदी 
         हवा का रुख 
         जिधर था ......

शुभा मेहता 
23rd Aug ,2023