Saturday, 23 December 2023

पंखी ....

सब कहते हैं 
इन पंछियों से सीखो कुछ ..
कैसे कुछ दिन बाद  ही ,
जब जान जाते हैं 
 कि हो गए  सक्षम 
   दे देते हैं नन्हें बच्चों को 
  खुला आसमान ..
   क्या पता है हमें 
 कि आते होगें 
 ये बच्चे कभी 
 मिलने ....
   तो फिर हम क्यों 
    इतने तन्हा 
     इतने उदास 
       इंतजार  करते 
        आने का उनके 
        सीखो ना ....
         पंछियों से ...
          क्या इनके पास दिल होता है 
             पता नही 
           हाँ ....इतना पता है 
           इनके पास  फोन नहीं होता 
             इनके कान नहीं तरसते  होंगे ना 
                फोन की घंटी सुनने को ...
                   शायद भूले हुए  पंछियों  का 
                      फोन आ जाए  ......

शुभा मेहता 
22thDec ,2023
    
   

Sunday, 10 December 2023

रूठना ....

रूठने -मनाने के किस्से 
  बडे आम है.....
 किसी का रूठना 
  किसी का मनाना 
    पर मैं .....
    तो कभी रूठी ही नही 
      हालाँकि कई मौके आए 
       जीवन में .......
        कि रूठा जा सकता था 
           पर , जानती थी कि 
             कोई मनाएगा नहीं 
               सारी उम्र बस 
                इसको उसको मनाती ही रही 
                  लगी रही उधेडबुन में 
                    उधडी  ऊन से बुने 
                    स्वेटर की गांठें पीछे 
                        छुपाती रही ......।
                          

शुभा मेहता 
10th ,Dec ,2023

Friday, 8 December 2023

मौसम का हाल

आज का दिन 
कैसा है ...?
यानि ,कैसा महसूस कर रहे हो आज ? 
प्रसन्न या थोडे -से उदास 
या फिर  चिंतित..
या पता ही नहीं चल पा रहा कि 
 कैसे हैं आज ....? 
  चलो ...अपनी भावनाओं को 
     मौसम मान लो ...
      फिर सोचो ......
      सोकर उठे तो मौसम  साफ,
      मन शांत, प्रसन्न.....
        पर एक घंटे बाद....
        मौसम विभाग  की सूचना...
          भारी बरसात, तूफान...
          हमारे मन के भाव भी 
           एकदम वैसे ही हैं..
            हमेशा बदलते रहते हैं
             मौसम  की तरह.....
           घना कोहरा ..
            चिंता .....
         गरजते बादल ...
        गुस्से से तमतमाता चेहरा 
        फिर अचानक  ....मन शांत 
         आकाश साफ......।

     शुभा मेहता 
    8th Dec ,2023

          
          


'Extra.....'(अतिरिक्त)

ये extra शब्द  
 बडा दिल दुखाता है 
  बार-बार यह अहसास 
  करवाना कि हम extra हैं 
    किसी भी खेल में ,
     या नृत्य स्पर्धा में 
     extra नृतक ...
     पता होता है उन्हें कि 
      खेलना या प्रस्तुति देना 
        नहीं है उनकी नियती 
         पर सीखना और 
          मेहनत करना तो है न 
          या जो मुख्य कलाकार 
           या खिलाडी हैं 
            उनका हर पल ध्यान रखना 
             कभी-कभार स्वार्थवश 
              ये सोच भी आती है 
               शायद किसी को चोट लग जाए 
                 तो नंबर मेरा आ जाए 
                  कोई न कोई आस लिए 
                ये extra अपना काम 
             किए जाते हैं......

शुभा मेहता 
8th Dec 2023



     

Thursday, 7 December 2023

बालपन की सोच

'बेचारा दिल क्या करे ' बहुत दिनों के बाद  ये गाना सुना 
अचानक दिमाग बचपन की ओर चला गया ...बेचारा शब्द  सुनकर ...........
और मैं अतीत के पन्ने पलटने लगी । कभी कभी बचपन में किसी भी शब्द  का अर्थ  हम अपनी समझ के अनुसार  या फिर  किसी से सुनकर  दिमाग में बैठा लेते हैं और बचपन में दिमाग  में बैठी बात ,बहुत गहरी होती है ।
  बात  बहुत  पुरानी है , पाँचवी कक्षा में थी ..हमारी एक शिक्षिका जब भी बच्चों को डाँट  लगाती ..'बेचारी'शब्द का उपयोग  करती ,तब लगता कि किसी को गुस्से से डांटना हो तो इस 'बेचारी'शब्द का उपयोग  किया जाता है । 
 तो मैं भी कभी -कभार इस शब्द  का उपयोग कर लेती ।
 मगर बात  तब बिगडी जब एक बार  मेरी सहेली से झगडा हुआ तब मैंनें उसे बेचारी कहा ...फिर क्या था उसका गुट अलग .......तीन -चार लडकियाँ जोर जोर से मुझसे झगड़ने लगी .."तेरी हिम्मत कैसे हुई  इसे बेचारी कहने की ...इसके माँ,-बाप दोनों हैं उनके हिसाब  से बेचारी का मतलब अनाथ 
होता था ,जबकि मुझे उस समय ये पता नहीं था ...।
मेरा मन तो अब भी स्वीकारनें  को तैयार  नहीं था ये अर्थ  ।
पर अब क्या ..इस बात पर हमारी दोस्ती टूट गई  ..मैंने बहुत  समझाया ,पर वो समझी नही ..।

Wednesday, 23 August 2023

पाती

मेरे लिए  वो महज 
कागज का टुकडा नहीं था 
 दिल निकाल  कर रख दिया था मानों 
  एक -एक शब्द  प्रेम रस में पग़ा  था
   प्रेम  की ही स्याही थी 
     कलम भी प्रेम की...
     शब्दों को प्रेम रस में 
     डुबो -डुबो कर 
      बड़े जतन से 
      उस कागज पर 
      सजाया था 
        पता नहीं 
        तुमने पढा भी 
        या नहीं 
         या उडा दिया 
         चिंदी-चिंदी 
         हवा का रुख 
         जिधर था ......

शुभा मेहता 
23rd Aug ,2023
         

Monday, 24 July 2023

कमला जी

कमला जी ....लघुकथा

कमला जी सब काम निपटा कर थोडी देर के लिए बैठी ही थी कि आवाज आई, अरे भई थोडी चाय तो बना दो सुबह से बस बैठी ही रहती हो कुछ काम धाम तो है नहीं....कमला जी के लिए तो ये रोज का था ..सोच रही थी कि सुबह से चक्करघिन्नी की तरह से इधर से उधर नाचती रहती हैं ये काम वो काम ...और सुनने को तो यही मिलता कि तुम्हे काम ही क्या है ?
सच में उन्हें बहुत बुरा लगता था । पर चुप रहती ...लेकिन आजकल जब भी वो पढती कि अपने आप से प्यार करो ,अपना ध्यान खुद रखो तब सोच में पड जाती कि आखिरी बार कब उन्होने अपनी पसंद से कुछ किया था ,कभी अपनी पसंद की सब्जी बनाई या अपनी मरजी से कहीं घूमनें गई....
कितना पसंद था उन्हे घूमना -फिरना ,पेंटिंग तो वो इतनी अच्छी करती थी कि बस ..सालों बीत गए रंग और कूची हाथ में लिए जिदंगी के सारे रंग मानों कहीं खो गए है ....घर में कभी किसी नें पूछा भी नही कि कमला तुम्हारे क्या शौक हैं ..सब अपनें में ही मगन उनका वजूद तो बस सिमट कर रह गया था ।
सोचा बस अब मैं भी अपनें लिए जियूंगी कुछ पल अपनें लिए 
भी निकालूंगी ...
कमला जी उठीं ...रसोई में जाकर अपनी पसंद की अदरक वाली चाय बनाई ...आराम से बैठ कर पी ।फिर अच्छे से तैयार होकर बाजार की ओर चल दी ,रंग और कूचियां लेने ....
 घर वाले हैरानी से उन्हें देख रहे थे ।

शुभा मेहता

Saturday, 24 June 2023

वाह रे मानव ...

प्रकृति नें कितने ,
खूबसूरत रंगों से भरा है 
इस दुनियाँ को 
नीला आकाश ,नीला सागर 
 हरी-हरी घास
 रंग-बिरंगी सब्जियाँ 
  फूल और फल 
   खूबसूरत  वृक्ष
    तरह-तरह की वनस्पतियाँ
    क्या नहीं दिया उसने 
      ये नदियाँ ,ये पहाड़
      और बदले में हमनें क्या किया 
       सभी का रंग बिगाड़ कर रख दिया 
        आकाश प्रदूषित, नदियाँ ,सागर प्रदूषित 
          और तो और फल ,सब्जियों को भी 
           रासायनिक बना कर छोड़ दिया 
            इतना स्वार्थी कैसे हो गया 
              रे मानव तू .....।

Friday, 16 June 2023

मायानगरी ...

छोड़-छाड़ के नगर पुराना 
हम तो आ गए भैया 
 नए नगर को 
 कहते लोग जिसे हैं 
   मायानगरी .......
   जहाँ हर तरफ है अफरातफरी 
    गगनचुम्बी इमारतें ..
      किया हमनें भी वहीं बसेरा 
        अच्छा लग रहा है ..
          हाँ , याद तो आती है 
            पुराने शहर की 
             पर ठीक है 
             जीवन में आना जाना 
                लगा रहता है 
                   नई नगरिया 
                      नई डगरिया
                          बस अच्छे से गुजर जाए...
                    
शुभा मेहता

   
     
                       

Sunday, 12 March 2023

उम्र

उम्रदराज लोग 
अक्सर भूल जाया करते है 
कभी कुछ ,कभी कुछ 
अब मुझको ही ले लो 
 बासठ पार हो गए 
  त्रेसठवां सरक रहा है 
  या यूँ कह लो कि चल रहा है 
  नहीं जी ,दौड़ ही  रहा है 
   कब सुबह होती है ,कब शाम 
    पता ही नहीं चलता 
    व्यस्त रखती हूँ  
    अपने आप को 
      अपनी पसंद  का काम  करके 
       खाना बनाने से लेकर 
       संगीत  के रियाज तक 
       फिर भी ...........
      अक्सर  कुछ न कुछ 
        भूल ही जाती हूँ 
        कभी किसी चीज को रखकर 
         कभी किसी का नाम ही .....
          चाहती यही हूँ कि
         भूलूं तो जीवन के संघर्ष  को ..
          दिल दुखनें की बातें...
          कुछ कडवी यादें ...  
           बस याद रहे ,
             जीवन की मिठास 
             जी लेना है 
             उम्र के इन बोनस वर्षों को 
            बिन्दास........।
शुभा मेहता 
  12th March,2023

 
   

Thursday, 2 March 2023

होली (संस्मरण)

सबसे पहले मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को होली की हार्दिक  शुभकामनाएँ 🌷🌷🌷🌷🌷

  होली का पर्व  आपसी प्रेम व सद्भाव  बढाने का होता है ।कहते हैं इस दिन सब गिले शिकवे भूलकर  एक दूसरे के साथ मिलकर  रंग लगाते है और खुशियाँ  मनाते हैं ।
 मुझे भी मिलजुल कर होली खेलना अच्छा लगता था ....आप सोच रहे होंगे था से क्या मतलब ,अब अच्छा नहीं लगता क्या ?
 बात  कुछ पंद्रह साल  पुरानी है ।जब हम गाँधी जी की नगरी पोरबंदर  रहा करते थे । हमारी कॉलोनी में भी होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते थे हम सब मिलकर  । 
  सब लोग मस्ती में रंग और गुलाल से खेल रहे थे ...तभी किसी नें मेरे बालों में बहुत  सारा रंग  डाल दिया और कुछ क्षणों के बाद ही मुझे तीव्र  जलन महसूस  होनें लगी ...मानों किसी नें मिर्च  का पाउडर  डाल दिया हो ..कुछ देर में वो जलन असहनीय  हो गई  ,मैं जल्दी से घर की ओर भागी ..।
 बालों को सीधा ठंडे पानी के नीचे रखा ...बहुत  धोया पर जलन कम नही हुई  ...तभी मेरे बाल जडों से हाथ में आने लगे ..इतने सारे .....मैं तो जोर -जोर से रोने लगी ..।(उस समय बहुत  लम्बे बाल थे ) 
 घर वाले ढाढस  बंधा रहे थे ,मैं रोए जा रही थी ।
  बाल बहुत निकल चुके थे । 
   किससे कहते और क्या ? सभी अपनें ही थे ...।
    अभी भी उसका असर है ,दिल और दिमाग  पर ....।
     अब मन नहीं करता होली खेलने का ।
     बाद में पता लगा कि उनमें से एक फैक्ट्री में केमिस्ट था ..।
  शुभा मेहता 
3rd March ,2023
  

Friday, 10 February 2023

पैसा

पैसा हाथ का मैल है ,
ऐसा कहते हैं लोग ,
 अरे जनाब.....
   किस दुनियाँ  में
    जी रहे हैं आप
      यहाँ  तो हाथ में ,
        पैसा न हो अगर 
           लोग हाथ मिलाना ही 
              देते हैं छोड़.....

     शुभा मेहता 
     11th ,Feb, 2023

Thursday, 12 January 2023

पतंग

मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को मकर संक्रांति पर्व  की हार्दिक  शुभकामनाएँ  🌷🌷🌷🌷🌷
  यहाँ  तो यह पर्व  पतंग  पर्व  ही है ,सारा आसमान  रंग -बिरंगी पतंगों से सजा हुआ  दिखाई  देता है । ये कागज की पतंग  हमें बहुत कुछ सिखा देती है ......

  पतंग  सिखाती है ........
    जितने हल्के रहोगे 
    उड़ान  उतनी ही ऊंची होगी 
     जिंदगी में हमेशा 
       जमीन से जुड़े  रहो 
        चाहे जितना ऊपर जाओ 
          पैर जमीन  पर ही रखो 
             हवा का रुख पहचानों 
              डोर अपनी मजबूत रखो 
                सबको लेकर साथ चलो ।


शुभा मेहता 
 13th January, 2023

  

Saturday, 7 January 2023

दिल का दर्द

कल एक वृद्धाश्रम में अपनी सखी के साथ  जानें का अवसर मिला । वहाँ  जाकर मन बहुत  दुखी -सा हो गया ।
कुछ बगीचे में धूप सेक रही थी ,कुछ सीढियों पर बैठी थी ।
 सभी की आंखें रीती -सी थी । कुछ के हाथ में फोन था , किसी का भी फोन बजता तो वे झट अपनें फोन की ओर आशा भरी नजरों से देखने लगती ...इंतजार करती हुई  किसी अपने के फोन का .....।
उनकी आंखों में जो मैंने पढ़ा अभिव्यक्त  करनें की कोशिश  की है .........
  अचानक  फोन बजा 
    उनकी नजर झट 
      उधर दौडी ..
       कहाँ  बजा ....
        धीरे -से फुसफुसाई.....
          मेरा तो फोन कोमा में है 
           नहीं बजता ..
            न किसी का आता है 
              अब तो मुझे भी डर लगता है 
                अगर फोन कोमा से बाहर  भी निकला 
            और बजा ....उठाऊंगी नही 
            अब और काम भी क्या होगा 
           मेरा सब कुछ छीन कर .
           यहां पहुँचा दिया 
             अब कुछ बचा ही नही है ।

     शुभा मेहता 
   7th January  ,2023