उदास मन ,उदास तन
चारों ओर उदासी
न है कोई आसपास अपना
न समय किसी के पास
कोई तो पूछे
मेरे दिल का हाल
माँ -पापा... बस काम ही काम
हाँ लाकर जरूर दिए हैंं
ढेरों खिलौने
पर खेलूँ किसके साथ
कितने सारे गेजेट्स ..
उन्हें क्या मालूम
कितना हूँ अकेला
बस चाहत है
कुछ पल तो रहें
वो मेरे साथ
क्या करूँ..?
कोई दवा है
जो दे दे खुशी
या उदासी को ही गले लगाऊँ
या फिर खो जाऊँ सपनों मेंं
या फिर नाचूँ ,गाऊँ
अकेले मेंं चुपके से कह लूँ
नहीं है प्यार मुझसे किसी को
या फिर इस उदासी को
घोल के पी जाऊँ शरबत में ....।
शुभा मेहता..