Thursday, 2 June 2016

मिट्टी

   सुबह-सुबह अचानक
    मिट्टी की सौंधी खुशबू
     तर कर गई
     तन -मन को
      उठ कर देखा
     तो पाया
      बरखा की बूँदो ने
        भिगो दिया है
       इसको ज़रा
      उसीकी खुशबू थी
        शायद मेरी तरह
        सभी के मन को
      भाती है ये खुशबू
        गाँव की मिट्टी
       देश की मिट्टी
       क्या -क्या नहीं
       करवाती ये मिट्टी
       बच्चों को भी
    बड़ी भाती ये मिट्टी
     खेल -खेल में
     इससे बनाते वो
     घरौंदे, महल
   मिट्टी जो है
     हमारे जीवन काआधार
     देती फल, फूल ,अनाज
      क्यों लगती इतनी प्यारी
       ये मिट्टी
       आज समझ आया
अरे हम भी तो
   इसी से बने हैं
   तभी तो करते हैं
   इससे इतना प्यार ।