पता है न ....
एक दिन तुम भी
टँग जाओगे
तस्वीर में
घर के किसी
कोने में
किसी खूँटी पर ..
इसीलिए .....
प्रेम बीज बोओ
उन्हें प्रेम से पालो
सींचो प्रेम से
प्रेम फल पाओगे
क्या धरा है
झगड़े -लड़ाई में
प्रेम बोओगे
.सबके दिलों मेंं
रह जाओगे ।
शुभा मेहता
Wednesday, 14 August 2019
तस्वीर
Tuesday, 6 August 2019
प्रकृति
छत पर ठंडे बिछौने पर लेट
खुला आसमान निहारना
कितना सुखद !
चलते हुए बादल ..
कभी लगते गाय से
कभी खरगोश से
अलग -अलग आकृतियां
बनती -बिगडती
घंटों ताका करती
और वो चाँद ..
कितना सुंदर
माँ कहती देखो ..
चाँद में बैठकर
बुढिया चरखा कात रही
उस बुढिया को ढूँढती
अलग-अलग कोंण से
ढूँढते -ढूँढते कब आँख लग जाती
पता ही नहीं चलता ..
छत पर ठंडे बिछौने पर .......।
शुभा मेहता
29th August ,2019
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