रह जाता है
जिंदगी यूँ ही
गुज़रती जाती है
उस अनकहे की टीस
सदा उठती रहती है
क्यों रह जाता है
कुछ अनकहा ...
काश , कह दिया होता
ये टीस तो न उठती
जो होता देखा जाता
ये दर्द तो ना मिलता
शायद मिला ही नहीं
कोई हमज़ुबाँ ..
या कभी सोचा ही नहीं
कि कह डालें .....
ये अनकहा ....
अब कहाँ......
शायद ...साथ ही
ले जाएँगे ये अनकहा .....।
शुभा मेहता
19th May ,2022