Thursday, 11 June 2020

स्वतंत्र

बडे  गर्व से 
कहते हैं.हाँ हैं हम 
स्वतंत्र देश के 
स्वतंत्र नागरिक ..
और हैं भी ....।
पर हमनें तो 
इसका ऐसा 
किया दुरूपयोग ..
सारी प्रकृति दर्द से 
कराह उठी ..
 किसनें दी हमें 
स्वतंत्रता जंगलों को 
उजाडने की ,नदियों को दूषित करनें की ,
पर्यावरण बिगाड़ने की ,
जहाँ मरजी कूडों का ढेर लगाने की ,
हे मानव ,ये जो किया तूने 
खिलवाड़ माँ प्रकृति के साथ ,
कितना सहती वो भी आखिर ..
सीमा होती है न ,हर बात की 
तो अब ले भुगत ,
अपने कर्मों का फल ,
त्याग अब तो अपना अहम्...
मैं , मानव हूँ बडा शक्तिशाली ..
कुछ भी कर सकता हूँ 
 छोड इस सोच को अब ..।
   प्रेम कर माँ प्रकृति से 
   ध्यान रख ,कर जतन 
    देखना फिर माँ भी 
     जल्दी ही ..
   बैठाएगी फिर से 
      तुझे अपनी गोद में
झुलाएगी झूला भी ......।
  

 शुभा मेहता 
12 June ,2020