Wednesday, 13 July 2022

पीले पत्ते (लघुकथा)

ओफ्फो ....ये पीले-पीले पत्ते पौधों की सारी सुंदरता खराब कर देते हैं ।कितनी बार कहा है माली से जैसे ही पत्ते थोडे पीले होने लगे इन्हें हटा दिया करो । मैं ही निकाल देती हूँ इन्हें ।और उसने चुन चुन कर पीले पत्तों को नीचे गिराना शुरु कर दिया । 
   एक -दो पीले पत्ते उदास हो रोने लगे ।तभी उनमें से एक ने कहा उदास क्यों होते हो ..पीले हुए हैं अभी सूखे नही ..सूखने से पहले जितना समय बचा है क्यों न हँसी -खुशी बिताएँ । सभी पीले पत्तों ने घेरा बनाया और नाचने गाने लगे ,हँसने ,गुनगुनाने लगे ..साथ -साथ रह कर साथ निभाने लगे ।अब कोई ना उदास था ना पीले होने का गम ..।


शुभा मेहता 
13July ,2022