आओ मिल करें सब
स्वागत नववर्ष का
मिल गले एक दूजे से
करले दूर गिले -शिकवे
ख्वाहिशें जो रह गई
अधूरी हैं ..
आओ सजा लें
फिर से मन में
मंजिल को पाना है
हौसला बुलंद करें
आओ ....
ज़िन्दगी की थाली को
प्रेम से सजाएं
भर दें उसमे स्वाद सभी
खट्टे , मीठे , चरपरे
आओ मिल .....
Tuesday, 29 December 2015
स्वागतम्
Tuesday, 1 December 2015
ठहाके
सब कहते हैं , मैंने भी पढ़ा है
हँसना अच्छा है सेहत के लिए
अब सवाल ये है कि
हँसू तो किस बात पर
किसके साथ या किस पर
या अकेले ही कहकहे लगाऊँ
लोग समझेंगे पगला गई है
पहले जब देखती थी मैँ
बगीचों में लोगों को
झूठे कहकहे लगाते
सोचती क्यों ये
झूठे कहकहे लगाते हैं
क्या सच में ऐसा कुछ नहीं इनके पास
जो दिल से ठहाके लगा सके
पर महसूस होता है आज
झूठे ही सही , ठहाके तो हैं
हँसना अच्छा है न सेहत के लिए
अब तो ठान लिया है मैंने भी
झूठे ही सही ठहाके लगाऊँगी
अकेले-अकेले मुस्कुराऊंगी
माता , पिता ,बंधु , भ्राता
सभी स्वयं बन जाऊँगी
क्योंकि ........हँसना.......
अच्छा है सेहत के लिए ।
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