Thursday, 23 January 2020

तीली

एक माचिस की 
छोटी -सी तीली 
 कितनी ताकतवर !
 जला देती है 
   कितने ही आशियाँ...
   सुलगा जाती है 
     जीते -जी 
      कितने ही तन
     कितनी बसें ,कारें
     और न जाने क्या -क्या 
      बेहिसाब..............।
   और ,शब्दों की तीली ?
    जला देती है 
   कितने ही मन 
     अंदर तक ....
     बढा़ देती है 
      आपसी बैर 
      बना देती 
      अपनों को ,
        अपनों का दुश्मन 
            देती है जख्म 
             अनदिखा ...।
             और फिर ,कुछ लोग (तथाकथित अपनें)
             देते हवा उस आग को 
               जो बुझ नहीं पाती ता-उम्र 
               दूर से देखकर
                  ताली बजाते ..।
     शुभा मेहता 
   24th Jan ,2020
 
 

Tuesday, 21 January 2020

जिंदगी

सच कहूँ ,तो आइसक्रीम सी है ,
ये जिंदगी ......
नरम-नरम ,मीठी -मीठी 
  कभी वनीला सी ,
  कभी चॉकलेट सी 
    कभी अनानास सी 
   तो कभी नारंगी सी खट्टी -मीठी 
   धीरे -धीरे स्वाद जीभ में घुलाती सी 
    अभी देखा था 
   कुछ दिन पहले 
    एक छोटा बच्चा 
      कितने मजे से 
      चख रहा था स्वाद इसका 
       हाथ में लिए 
        एक नारंगी केंडी 
         रस बहकर आ गया था 
         कोहनी तक ...
           जीभ से चाटकर 
          कितना खुश हो रहा था 
         तभी उसकी मम्मी नें 
        जो़र से डाँटा ....
         क्या कर रहे हो 
           खानें का सलीका नहीं ..
          बेचारा बच्चा ,सहम सा गया 
           गलती अपनी समझ न पाया 
            सोचा ,मैं तो आंंनद ले रहा था 
            अपनी तरह से ..
              बस वही से शुरुआत हुई 
                बच्चा अब हर बात में डरता है 
                 कहीं कोई भूल न हो जाए 
                  और फिर क्या..
                 सलीके सीखने में ही
                   उम्र गुजर जाती है 
                     आइसक्रीम  आधे में ही पिघलकर 
                 जमीन पर गिर जाती है ।
    शुभा मेहता
  21th Jan ,2020
                     


  


         
     
   

Friday, 17 January 2020

अंधा बाँटे रेवडी..

स्कूल से घर आते ही दीदी का रिकॉर्ड चालू हो गया ..कह रही थी कितना अच्छा ,सुरीला मधुर गाना गाया था उस बच्ची नें ,पर इनाम तो उस ट्रस्टी की बेटी को ही दिया ...जब ऐसा ही करना था तो हमें बुलाया ही क्यों था जज बनाकर । सब दिखावा है ..पहले ही ऑफिस में बुलाकर कह दिया कि प्रथम पुरस्कार तो इसे ही देना होगा ..ये भी भला कोई बात हुई ..बस दीदी बोले जा रही थी ...हर साल इसी ट्रस्टी की बेटी को ही इनाम दिलवाते है ..न सुर का ठिकाना न ताल का ..उस बेचारी बच्ची का चेहरा देखा था ,कैसा उतर गया था  ..ये तो वो ही बात हुई न कि अंधा बाँटे रेवडी फिर -फिर उसी को दे। 
   मैं बोली दीदी ये रेवडी अंधा कैसे बाँटता होगा ,उसे कैसे पता चले कि बँटवारा बराबर हुआ है या नहीं ..दीदी मुझे देखकर मुस्कुरा दी ..बोली अभी तुम छोटी हो ,बडी होगी तब सब समझ जाओगी ।  
चलो अब सो जाओ थोडी देर । मैं भी थकी हुई थी जल्दी ही आँख लग गई । तभी सपने में क्या देखती हूँ एक अंधा बडे से झोले में रेवडिय़ां लेकर आ रहा है ,दूसरे हाथ में डंडा है । जब भी मैं रेवडी लेने आगे बढती वो जोर से डंडा पछाडता ..सपने में भी रेवडी न मिली ।  
बडी़ हुई ,अच्छी शिक्षा प्राप्त करली , खूब अच्छा रिजल्ट ढेरों सार्टिफिकेट सब कुछ है मेरे पास ,बस सिफारिश नहीं । कल एक कंपनी में इन्टरव्यू है । थोडी चिंता में हूँ । 
  सुबह माँ नें दही-चीनी खिलाकर आशीर्वाद दिया सब अच्छा होगा कह कर विदा किया । इन्टरव्यू बहुत अच्छा हुआ ,पता लगा कि नौकरी तो सभी उच्चधिकारियों के रिश्तेदारो़ को दी जा चुकी है । अब समझ आया .......।स्कूल हो दफ्तर हो गांव हो ,शहर हो या देश ,अंधा भी शायद गंध पहचान कर रेवडी बाँटता है । 

  शुभा मेहता 
   17thJan 2020
 



   

  
 
  
  

Friday, 10 January 2020

चोट

लगी ज़रा सी चोट 
तो ,मम्मा दौडी़-दौडी़ आती है 
उठाती झट से गोदी में
  और प्यार से वो सहलाती है ।
  कहाँ लगी है जरा बताओ
   पूछ-पूछ घबराती है
    देख निकलता खून ज़रा -सा 
     रोनी-सी हो जाती है ।
      अभी ठीक हो जाएगा 
     यह कह ढाँढस बंधाती है 
       लेकर अपने पल्लू को 
       वो मेरी चोट सहलाती है 
        मैं भी चुप हो गोद में उसकी 
        सुख स्वर्ग सा पाती हूँ 
         इतना प्यार भला ये मम्मा 
        ले कहाँ से आती है । 


     
   शुभा मेहता 
  11th ,January ,2020
          
        

Friday, 3 January 2020

दुआ

कितनी दुआएँ माँगी थी 
कहाँ -कहाँ ना माथा टेका 
 मंदिर ,मस्जिद ,गुरुद्वारों में
 भटके थे .......
 बस ,एक पुत्र की आस में 
  जो तारेगा वंश 
  सोच तो यही थी ।
   कौनसी दुआ फली 
      नहीं मालूम ..?
       पुत्र जन्मा ..
       बधाईयाँ ,मंगलगान ..
        क्या ,माहौल था ,
        चारों ओर बस 
       खुशी ही खुशी थी 
        वृद्धाश्रम में बेठी माँ ...
        सोच रही थी ..काश 
          ना होती कबूल
            मेरी दुआ ...।
    

शुभा मेहता 
3rd Jan .2020