Sunday, 19 January 2014

क्रोध पर विजय

जब मै पहलीबार 'रेकी' शिविर मे गई थी तब हमें इसके पाँच सिद्धांतो के बारे में बताया गया ,उसमें से एक है "।केवल आज के लिये मै क्रोध नही करूँगी " । तब मुझे लगा कितना आसान तरीका है क्रोध पर विजय पाने का ।जैसे रोज नहाना, खाना  वैसे ही क्रोध न करना ।केवल एक दिन के विचार से मन पर अधिक जोर भी नही पडता  ।
   मैंने कहीं पढा था कि केवल एक मिनट क्रोध करने से दस किलोमीटर दौडने जितनी शक्ति खर्च होती है ।आपने कभी सोचा है कि हमें क्रोध किन बातों पर आता है -*बीती बातों पर ।
   *चल रही बातों पर
    *या फिर आने वाली बातों पर ।
      अगर हम ध्यान दे तो पाएंगे कि क्रोध उन घटनाओं,व्यक्तियों पर आता हैं जो हमें पसंद नहीँ है ।जब-जब ऐसी घटनाएँ याद आती है या फिर ऐसे व्यक्ति सामने आते है क्रोध आता है  ।हम यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि क्रोध करके हम परिस्थिति में कोई परिवर्तन नहीँ ला सकते ।हाँ अगर प्रेमभरा व्यवहार करने में आए तो परिवर्तन की संभावना रहती है ।
     दूसरों पर क्रोध करके हम कहीँ ना कहीँ स्वयं का ही नुकसान करते है क्योंकि तनावग्रस्त रहकर हम बहुत सी बीमारियों को आमंत्रित करते हैं  ।
       चिकित्सकों का कहना है कि क्रोध,भय वग़ैरह आवेशों से हमारे पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड का प्रवाह अधिक होता है जो सामान्यत: भोजन के कठोर अंश को पचाने में सहायक होता है । पर जब क्रोध के कारण इस एसिड का निर्माण होता है उस समय पेट में भोजन के कठोर अंश न होने के कारण ये पेट के  पाचक तत्वों का नाश करना शुरू कर देता है और व्यक्ति बीमारी का शिकार हो जाता है ।
   इसलिए आप भी रोज सुबह उठ कर दोहराए केवल आज के लिए क्रोध नही करेगें । आशा है इससें आपका जीवन अधिक सुखमय हो सकेगा ।

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