Wah iss baar vedna par hai shayad aur m kah skta hoon ki ye ek apratim adbhut kavita likh daali bahut bdhiya bahut taraf ki vednayen hoti hain par apno ke dwara paayi gyi hriday ko bhishan vyathit krti hain sundar panktiyon se sanjoya asaan sahaj shabdawali se seenchit kavita 👏👏👏💐💐💐👍👍👍😘😘😘
जी नमस्ते, आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं। ***** अनीता लागुरी"अनु"
जी नमस्ते, आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित हैं। ***** अनीता लागुरी"अनु"
रहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय, सुनिए इठलैंहें लोग सब, बाँट न लैहें कोय। आपकी रचना में इस तथ्य को समाहित करते हुए आपने एक नई दिशा दे दी है। बहुत-बहुत सुंदर सृजन। बधाई व शुभकामनाएं आदरणीया शुभा जी।
Wah iss baar vedna par hai shayad aur m kah skta hoon ki ye ek apratim adbhut kavita likh daali bahut bdhiya bahut taraf ki vednayen hoti hain par apno ke dwara paayi gyi hriday ko bhishan vyathit krti hain sundar panktiyon se sanjoya asaan sahaj shabdawali se seenchit kavita 👏👏👏💐💐💐👍👍👍😘😘😘
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteप्रशंसनीय
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
अनीता लागुरी"अनु"
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनु । जरूर आऊँगी 😊
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा शुक्रवार (21-02-2020) को "मन का मैल मिटाओ"(चर्चा अंक -3618) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
*****
अनीता लागुरी"अनु"
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन ,सादर नमन आपको शुभा जी
धन्यवाद सखी ।
Deleteहो गए स्याह नीले-से
ReplyDeleteलोगों की दी गई
चोटों से ..
पड़ गई थी नील....।
बहुत ही सुन्दर सृजन...।
बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteरहिमन निज मन की व्यथा, मन ही राखो गोय, सुनिए इठलैंहें लोग सब, बाँट न लैहें कोय।
ReplyDeleteआपकी रचना में इस तथ्य को समाहित करते हुए आपने एक नई दिशा दे दी है। बहुत-बहुत सुंदर सृजन। बधाई व शुभकामनाएं आदरणीया शुभा जी।
बहुत-बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम जी ।
Deleteहृदयतल से आभारी हूँ । जी ,जरूर आऊँगी ।
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद मीना जी ।
Deleteछोटे में अद्भुत कह दिया शुभा जी।
ReplyDeleteसराहनीय।
बहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
Deleteबहुत सुंदर अभिव्यक्ति सखी
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
Deleteबेहद भावपूर्ण अभिव्यक्ति शुभा जी ,सादर नमन
ReplyDeleteलोगों की दी गई
ReplyDeleteचोटों से ..
पड़ गई थी नील....।
बहुत ही सुन्दर सृजन...।