Thursday, 11 June 2020

स्वतंत्र

बडे  गर्व से 
कहते हैं.हाँ हैं हम 
स्वतंत्र देश के 
स्वतंत्र नागरिक ..
और हैं भी ....।
पर हमनें तो 
इसका ऐसा 
किया दुरूपयोग ..
सारी प्रकृति दर्द से 
कराह उठी ..
 किसनें दी हमें 
स्वतंत्रता जंगलों को 
उजाडने की ,नदियों को दूषित करनें की ,
पर्यावरण बिगाड़ने की ,
जहाँ मरजी कूडों का ढेर लगाने की ,
हे मानव ,ये जो किया तूने 
खिलवाड़ माँ प्रकृति के साथ ,
कितना सहती वो भी आखिर ..
सीमा होती है न ,हर बात की 
तो अब ले भुगत ,
अपने कर्मों का फल ,
त्याग अब तो अपना अहम्...
मैं , मानव हूँ बडा शक्तिशाली ..
कुछ भी कर सकता हूँ 
 छोड इस सोच को अब ..।
   प्रेम कर माँ प्रकृति से 
   ध्यान रख ,कर जतन 
    देखना फिर माँ भी 
     जल्दी ही ..
   बैठाएगी फिर से 
      तुझे अपनी गोद में
झुलाएगी झूला भी ......।
  

 शुभा मेहता 
12 June ,2020
 



28 comments:

  1. वाह दी बहुत सुंदर विचार।
    सटीक और सार्थक सृजन दी।
    सादर।

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    1. धन्यवाद श्वेता ।

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  2. बहुत ही सटीक सार्थक और आज प्रकृति से किए खिलवाड़ की सजा भुगत रहे हैं
    इस दयनीय परिस्थिति के जिम्मेदार हम मानव नहीं मैं कहूँगा दानव ही हैंं
    वाह बहन खुश रह सदा मुस्कुराती रहे 👏👏👏😘😘😘

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  3. बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता ।

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  4. शुभा दी, बहुत सुंदर और विचारणीय पोस्ट।

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    1. धन्यवाद ज्योति ।

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  5. सार्थक सरोकारों को स्वर देती कविता। बधाई और आभार!!

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    1. धन्यवाद विश्वमोहन जी ।

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    1. धन्यवाद आदरणीय ।

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  7. काश इंसान ऐसा करे और समझे की प्राकृति है तो जीवन है अन्यथा जीवन का संकट भी खड़ा हो जायेगा ...
    बहुत सुन्दर और सार्थक .. भावपूर्ण रचना है ...

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    1. धन्यवाद दिगंबर जी ।

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  8. सुन्दर प्रस्तुति

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    1. धन्यवाद ओंकार जी ।

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  9. सुन्दर सृजन

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    1. धन्यवाद आदरणीय ।

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  10. हे मानव ,ये जो किया तूने
    खिलवाड़ माँ प्रकृति के साथ ,
    कितना सहती वो भी आखिर ..
    सीमा होती है न ,हर बात की
    तो अब ले भुगत ,
    अपने कर्मों का फल ,
    त्याग अब तो अपना अहम्...
    मैं , मानव हूँ बडा शक्तिशाली ..
    कुछ भी कर सकता हूँ
    छोड इस सोच को अब ..।
    प्रेम कर माँ प्रकृति से
    ध्यान रख ,कर जतन
    देखना फिर माँ भी
    जल्दी ही ..
    बैठाएगी फिर से
    तुझे अपनी गोद में
    झुलाएगी झूला भी ......।
    बहुत ही सुंदर रचना

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    1. धन्यवाद ज्योति जी ।

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  11. अति उत्तम रचना

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  12. धन्यवाद यशोदा जी ।

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  13. किसनें दी हमें
    स्वतंत्रता जंगलों को
    उजाडने की ,नदियों को दूषित करनें की ,
    पर्यावरण बिगाड़ने की ,
    जहाँ मरजी कूडों का ढेर लगाने की ,
    हे मानव ,ये जो किया तूने
    खिलवाड़ माँ प्रकृति के साथ ,
    कितना सहती वो भी आखिर ..
    सीमा होती है न ,हर बात की
    तो अब ले भुगत ,
    अपने कर्मों का फल ,
    बिल्कुल सटीक ...ये कर्मों का ही फल है जो आज पूरा विश्व झेल रहा है...
    बहुत सुन्दर सार्थक सृजन।

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  14. पर्यावरण संरक्षण पर सुंदर अभिव्यक्ति

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  15. बहुत सुंदर रचना पर्यावरण पर।आदरणीया

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  16. बहुत सुंदर और सार्थक सृजन सखी

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