मैं पतवार हूँ
अपनी नैया की
खुद खेवनहार हूँ
आँधी -तूफाँ में
डटी रहूँ ....
लहरों के जोर से
कभी न झुकूं
नैया चाहे हिचकोले खाए
मगरमच्छ गर सामने आए
सक्षम हूँ इतनी
रखती हूँ अटल इरादे
कोई कितना भी जोर लगाए
नैया को मेरी गिरा न पाए
मैं पतवार हूँ ,
अपनी नैया की
खुद खेवनहार हूँ।
शुभा मेहता
8th Nov ,2022
प्रेरणास्पद रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी अनीता जी
Deleteप्रेरक पंक्तियाँ
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
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