मिलते हैं जो बिछडते भी हैं वो,
बिछडता है दिन साँझ से जैसे मिलकर ।
आज मिलते हैं दोस्त, कल जुदा होते हैं,
है दस्तूर ये ही इस नश्वर जहाँ का।
तो फिर कयों ?ये तेरा ,ये मेरा
वो ऐसा ,वो वैसा,
यही राग गाते हैं ।
अरे,आज हैं कया भरोसा है कल का,
पता है सभी को है जाना तो इक दिन,
फिर कैसा ये झगड़ा, ये नफरत ये हिंसा,
इसलिए ही तो ये कहना है मेरा,
सदा मुसकुराओ ,सदा गुनगुनाओ ।
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