जब वह डाक्टर के पास पहुँचा तो देखा बड़ी लम्बी कतार थी ।पर उसनें तो समय लिया था फिर भी अभी तक उसका नंबर नही आया था ।उसके पास इंतजार करने के सिवाय कोई चारा नहीं था । पिछले कई दिनों से वह सिर दर्द ,पैरों में दर्द ,पेट की तकलीफ से परेशान था ।
आज यहाँ बैठे-बैठे उसे माँ की बातें याद आ रही थी ।वह अक्सर कहती थी बेटा शरीर का ध्यान रखा करो ,थोडा चला करो ,कुछ व्यायाम,योगा किया करो ।और मैं कहता कि तुम नही समझोगी काम ही इतना होता है ,कितना स्ट्रेस होता है इन सब चीजों के लिए कहाँ समय होता है ।तब माँ कहती "बेटा, अभी कुछ समय निकालोगे तो जिदंगी में स्वस्थ्य रहोगे ' पर उस समय मैंने उनकी बातों पर ध्यान ही दिया । माँ हमेशा यही कहती कि अगर तुम्हारा स्वास्थय अच्छा रहेगा तो हर काम अच्छी तरह से कर पाओगे ।
और तभी उसका नंबर आ गया । डाकटर साहब ने जाँच कर तरह -तरह की दवाइयाँ दी और साथ में ढेरों हिदायतें ।
उसने तो निश्चय कर लिया कि कल से ही सुबह जल्दी उठकर थोड़ा चलना है फिर थोड़ा योगा,व्यायाम आदि । माँ सच ही कहतीं थी
सच ही है पहला सुख निरोगी काया ।
तो आप कब से शुरू कर रहे हैं ।
Thursday, 22 May 2014
अनुभव
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