Wednesday, 9 July 2014

लघु कथा

वह दर्द से कराह रही थी । हाथ में इतनी जलन थी कि सहन नहीं हो रही थी । रसोई में मॉ की मदद करते समय गरम पानी उसके हाथपर गिर गया था । दर्द के मारे उसकी चीख निकल गई ।मॉ ने आँख दिखाई "आवाज नहीं' । आंसूआँखों में ही रह गए । मॉ हर समय यही कहती  ज्यादा बोलना नहीं, जोर से बोलना नही । अरे इतने दर्द में भी आवाज नही ।
     वह समझ नहीं पाती अभी दस साल की ही तो थी । स्कूल में टीचर कहती कयों किसी बात का जवाब नहीं देतीं । उसे कुछ समझ नहीं आता कया करे ? आज टीचर ने मौलिक अधिकारो के बारे में बताया था । वह अपने कमरे में आकर पढनें लगी -स्वतंत्रता का अधिकार - हर नागरिक को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार  ....... ।
      आँसूउसके गालों पर लुढ़क रहे थे ।

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