Monday, 29 July 2019

मिठास

कितने खुश रहते थे हम सब
मिल जाती थी खुशियाँ
छोटी-छोटी बातों में
मिल-बाँट के खाते
बिन खिलौने भी
कितने ही खेल खेलते
  कभी छोटे-छोटे
  पत्थर के गोल -गोल
   टुकड़ों से ....
   कभी इमली के बीजों से
    कभी माँ की चूड़ियों से
      सब के बीच होती थी
       एक ही गेंद ...
     फिर भी .....
     कितने खुश रहते थे हम सब ।
     आज चाहे कितनी भी मिठाइयाँ हों
      तरह-तरह के फल .....
       पर जो मिठास माँ के बनाएं
        चीनी के पराँठे में थी
         वो इन सब में कहाँ ..।
         
     शुभा मेहता
    30 July ,2019

16 comments:

  1. Wah yaad aaye chini ke paranthe aur kacchi imli tod kr khane ke din aaj toh manushya yantra chalit ho kr rah gya hai phle samay bitane ke kai sadhan hua krte the par aaj mobile laptop bas na ktab na chhchit patri aur na hi muhalle ki chachi mausi chacha bhai sab kahin gum ho gye bahut hi sahi chitran sahaj saral shabdon me khush rahe hamesha dher dher pyaar apni gudiya bahen ko 👋👋👋👋👍👍👌👌😊😊😊😘😘😘😘

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  2. सुंदर ! वैसे अपने भूतकाल की कीमत बाद में ही पता चलती है

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद गगन जी ।

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  3. Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  4. कितने खुश रहते थे हम सब ।
    आज चाहे कितनी भी मिठाइयाँ हों
    तरह-तरह के फल .....
    पर जो मिठास माँ के बनाएं
    चीनी के पराँठे में थी
    वो इन सब में कहाँ ..।
    बेहतरीन रचना सखी 👌👌

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  5. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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  6. बहुत सुन्दर

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी ।

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  7. शुभा दी, बचपन की यादे ताजा कर दी आपने! बहुत सुंदर प्रस्तुति।

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    1. धन्यवाद ज्योति ।

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  8. बचपन और माँ के हाथों का स्वाद मिल बाँट कर खाने से दूना हो जाता था ...
    अब वो दिन सिर्फ यादों में रहते हैं ...

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  9. बहुत खूबसूरत सृजन !
    Ration Card Suchi

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