कितने खुश रहते थे हम सब
मिल जाती थी खुशियाँ
छोटी-छोटी बातों में
मिल-बाँट के खाते
बिन खिलौने भी
कितने ही खेल खेलते
कभी छोटे-छोटे
पत्थर के गोल -गोल
टुकड़ों से ....
कभी इमली के बीजों से
कभी माँ की चूड़ियों से
सब के बीच होती थी
एक ही गेंद ...
फिर भी .....
कितने खुश रहते थे हम सब ।
आज चाहे कितनी भी मिठाइयाँ हों
तरह-तरह के फल .....
पर जो मिठास माँ के बनाएं
चीनी के पराँठे में थी
वो इन सब में कहाँ ..।
शुभा मेहता
30 July ,2019
Wah yaad aaye chini ke paranthe aur kacchi imli tod kr khane ke din aaj toh manushya yantra chalit ho kr rah gya hai phle samay bitane ke kai sadhan hua krte the par aaj mobile laptop bas na ktab na chhchit patri aur na hi muhalle ki chachi mausi chacha bhai sab kahin gum ho gye bahut hi sahi chitran sahaj saral shabdon me khush rahe hamesha dher dher pyaar apni gudiya bahen ko 👋👋👋👋👍👍👌👌😊😊😊😘😘😘😘
ReplyDelete,😊😊😊😊😊😊
DeleteBahut hi Behtarin 👌
ReplyDeleteThanku so much Ritika
Deleteसुंदर ! वैसे अपने भूतकाल की कीमत बाद में ही पता चलती है
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद गगन जी ।
Deleteबेहतरीन!!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteकितने खुश रहते थे हम सब ।
ReplyDeleteआज चाहे कितनी भी मिठाइयाँ हों
तरह-तरह के फल .....
पर जो मिठास माँ के बनाएं
चीनी के पराँठे में थी
वो इन सब में कहाँ ..।
बेहतरीन रचना सखी 👌👌
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteशुभा दी, बचपन की यादे ताजा कर दी आपने! बहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति ।
Deleteबचपन और माँ के हाथों का स्वाद मिल बाँट कर खाने से दूना हो जाता था ...
ReplyDeleteअब वो दिन सिर्फ यादों में रहते हैं ...
बहुत खूबसूरत सृजन !
ReplyDeleteRation Card Suchi