(1)
चूडियों की खनक
दूध वाले की घंटी
चाय की महक
सुबह हो गई ....।
( 2)
चिडियों की चहचहाहट
बच्चों और मम्मी की भागमभाग
कूछ भूले तो नहीं ?
बस्ता ठीक से भरा ?
टिफिन मेंं क्या रखा ?
चिल्लम -पुकार
सुबह हो गई ...।
(3)
मंदिर मेंं घंटी की आवाज़
मीठे भजन का नाद
जाग -जाग जदुनंदन प्यारे ...
धूप की मीठी सुगंध
प्रसाद की महक
सुबह हो गई ..।
शुभा मेहता
7th July 2019
Bahut bdhiya subah ke kalrav ko kitna sundar drishya diya hai ek bahut hi sundar painting kahunga chai banate samay chudiyon ki khanak aur meethi dhoop ki sugandh se teri kavita bhi mahek uthi wah sarvottam kriti sukhi rahe khush rahe 😘😘😘😘
ReplyDelete😊😊😊😊
Deleteवाह्ह्ह सुंदर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
Deleteबहुत सुंदर और मनभावन प्रस्तुति।
ReplyDeleteस्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर 🙏
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
बहुत सुंदर।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद विश्व मोहन जी ।
Deleteबहुत ही शानदार और सराहनीय प्रस्तुति.
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी ।
Deleteशुभा दी, सुबह का बहुत कम शब्दों में बहुत ही सुंदर वर्णन किया हैं आपने।
ReplyDeleteआप अपने ब्लॉग पर ई मेल सबस्क्रिप्शन का विजेट लगाइए न ताकि आपके नई पोस्ट की जानकारी मिल सके।
धन्यवाद ज्योति ।
Deleteजी हाँ सुबह हो गयी
ReplyDeleteसुंदर रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद । स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर ।
Deleteबहुत अच्छा लिखती हैं आप . सुबह की अच्छी दस्तक . शुभकामनाएं आपको
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर ।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत -बहुत आभार आदरणीय ।
Deleteबहुत खूब ...
ReplyDeleteसुबह का एहसास कराते कितने पल हैं जो ख्याल में आये बिन रह जाते हैं ...
उन्ही को जोड़ के लिखी सुन्दर क्षणिकाएं ...
बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।
ReplyDeleteऔर सुबह हो गई.. वास्तव में सुबह की शुरूआत यूंही हुआ करती है । बेहतरीन सृजन शुभा जी !
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद मीना जी ।
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