एक सुं...दर बगीचा
तरह-तरह के फूलों से लदा
गुलाब ,जूही ,गेंदा ,चमेली
मोगरा और सूरजमुखी ,गुडहल,
मेरी छोटी -सी ,प्यारी -सी बिटिया को
बहुत भाते थे फूल सूरजमुखी ।
एक ओर चीकू का वृक्ष था
अनार था ,नारियल का भी था एक पेड
दूसरी ओर कुछ सब्जियां थी
भिंडी ,बेंगन ,मिर्ची ,सेम
हाँ धनिया ,टमाटर भी तो था
एक ओर था पेड बादाम का
दोपहर होते ही बच्चों की टोली
पहुँच जाती तोडने बादाम ..
दिन भर बस यही
जरा -सी आँख लगती
और कर जाते सब
तहस-नहस ...
अब ,न वो बगीचा है
और न वो बच्चे ..
अब तो बस ,बडे शहर की
उँची -उँची इमारतें ..
दूर-दूर तक बस इमारतें...
भागती -दौडती जिंदगी ...
शुभा मेहता
10May ,2023
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