पर क्या सही में ऐसा दोस्त हमें मिल पाता है ,या फिर हम स्वयं ऐसे दोस्त बन पाते हैं । मेरी समझ से तो कुछ ही भाग्यशाली लोग होते होगे जिन्हें सच्चा दोस्त मिला होता है ।
एक बच्चा ढाई-तीन साल की उम्र से ही खेलने के लिए कोई साथी चाहने लगता है ..हम उम्र साथियों के साथ उसे अच्छा लगता है और यहीं से शुरुआत होती है दोस्ती की । इस उम्र में वे एक दूसरे के खिलौनों से खेलते है ,खिलौने छीनते भी हैं ,रोते हैं ,फिर थोडी देर में चुप होकर फिर से खेलने लगते हैं । न कोई ईर्ष्या न कोई द्वेष बस अपनी मस्ती में रहते हैँ ।
उसके बाद जब बच्चे स्कूल जाने लगते हैं ,उन्हें नए दोस्त मिलते है ।वहाँ वो साथ मिलकर खेलना सीखते हैं ,मिल बाँटकर खाना सीखते हैं । जैसे -जैसे बडे होते हैं देखा देखी शुरु हो जाती है ।
इसका अच्छा उसका खराब ,मेराभी वैसा होना चाहिए ..बस ज्यों ज्यों उम्र बढती है आपस में स्पर्धा-प्रतिस्पर्धा शुरु हो जाती है ।इसमें माँ -पिताजी का भी सहयोग रहता है क्यों कि बच्चों के सामने वो लोग ही कहते है ,बेटा हम तुम्हें उससे भी अच्छा लाकर देगें ।
पर कुछ दोस्त जीवन में ऐसे भी मिलते है जो ता-उम्र सच्चे मन से दोस्ती निभाते है ,दोस्त के दुख में दुखी और सुख में सुखी होते हैं ।
आजकल तो सोशल मीडिया की दोस्ती भी खूब चल रही है । इसके द्वारा भी हमें बहुत अच्छे दोस्त मिल जाते हैं कभी-कभी । सही है न जिनसे हम कभी मिले भी ना हो वो कितने प्यारे और सच्चे दोस्त बन जाते हैं ।
अंत में यही कहूँगी दोस्ती का रिश्ता बडा प्यारा -सा रिश्ता होता है अगर कोई सच्चा दोस्त मिले तो उसकी कद्र जरूर करो ।
दोस्तों की दोस्ती से
है रोशन जहाँ मेरा
साथ हँसना ..
साथ रोना ...
हर कदम पर ,
साथ देना ,
चाहे दुख हो
या हो सुख
साथ मिलकर
है बिताना
सबसे प्यारा
रिश्ता है ये
दोस्त ,दोस्ती
याराना .....।
शुभा मेहता
26th July ,2021
बहुत सही। तभी तो तुलसी ने कहा :
ReplyDeleteजे न मित्र दुख होई दुखारी
तिनहि बिलोकत पातक भारी।
बहुत-बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी ।
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद यशोदा जी । जी ,जरूर आऊँगी ।
ReplyDeleteसच लिखा आपने शुभा जी। जीवन का सबसे मजबूत स्तंभ होते हैं दोस्त। आभासी संसार में भी दोस्ती के रूप में अनमोल रतन मिलें हैं। बहुत बढ़िया प्रस्तुति है आपकी,। गद्य में भी और पद्य में। भी। आपकी ही तरह सरल सहज रचना हार्दिक शुभकामनाएं आपको 🙏🌷💐💐🌷
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय सखी रेणु । सच ही तो है न ,आप जैसे कितने प्यारे दोस्त मिले हैं मुझे ।
Deleteमित्रता का कितना सुंदर वर्णन, सुंदर और आत्मीय अभिव्यक्ति के लिए हार्दिक शुभकामनाएं।
ReplyDeleteधन्यवाद जिज्ञासा
Deleteशुभा दी, ब्लॉगिंग ने मुझे आप जैसी प्यारी दोस्त दी है। बहुत सुंदर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteहाँ ,ज्योति ,मुझे भी आप जैसी प्यारी दोस्त मिली है ।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी ।
Deleteदोस्त और दोस्ती की आवश्यकता और महत्व का बहुत सुंदर वर्णन आपने किया है। आपकी सलाह बहुत अच्छी है। सच्चा दोस्त मिल जाये तो उसे भगवान का आशीर्वाद मानें। सादर।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार(२८-०७-२०२१) को
'उद्विग्नता'(चर्चा अंक- ४१३९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता । जरूर आऊँगी ।
ReplyDeleteअति सुन्दर कथ्य एवं प्रस्तुतिकरण के लिए हार्दिक बधाई ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteबहुत ही बेहतरीन लेख
ReplyDeleteआपने बिल्कुल सही कहा दोस्ती बहुत ही खूबसूरत रिश्ता है !सच में जिसके पास एक सच्चा दोस्त होता है वो बहुत ही खुशनसीब इंसान होता है!
बहुत-बहुत धन्यवाद मनीषा जी ।
Deleteबहुत सुंदर, सच्चे दोस्त ढाल और तलवार दोनों
ReplyDeleteतरह का वजूद रखते हैं
जी ,एकदम सही कहा आपने । बहुत -बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद शांतनु जी ।
Deleteसुन्दर भाव!!
ReplyDeleteधन्यवाद अनुपमा जी ।
Deleteकई बार परिवार से ज्यादा दोस्त संभाल लेते हैं, कठिनाई में ! वैसे वे भी परिवार का अंग ही होते हैं
ReplyDeleteधन्यवाद गगन जी ।
Deleteआज के समय परिवार से ज्यादा दोस्त अपने लगते हैं ।
ReplyDeleteअपने जज़्बात खूबसूरती से लिखे ।
धन्यवाद संगीता जी ।
Deleteबहुत खूबसूरत भावाभिव्यक्ति शुभा जी !
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी ।
Deleteदोस्ती के बारे में बहुत अच्छे ख़यालात शुभा जी !
ReplyDeleteहमको अच्छे दोस्त तभी मिलेंगे जब हम ख़ुद किसी का अच्छा दोस्त बन कर दिखाएंगे.
धन्यवाद आदरणीय गोपेश जी ।
Deleteबहुत सही लिखा है शुभा जी आपने !!!
ReplyDeleteजिंदगी में दोस्त बहुत मायने रखते हैं और यह निश्चित बात है कि सोशल मीडिया ने भी दोस्त बनाने में अहम भूमिका निभाई है। भले ही हम एक दूसरे से नहीं मिल पाते हैं लेकिन इस आभासी दुनिया में दोस्तों का होना एक अपनत्व का एहसास दिलाता है।
धन्यवाद शरद जी ।
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