माँ ,धरती का सम्मान करें
आभारी हों ,दिल से ...
भूल गए हैंं शायद .
अपने स्वार्थ में हो गए हैं
इतने अंधे ...
देखो ध्यान से इसकी सुंदरता को
बहते झरनों को ,नदियों को,
फूलों को ,पेडों को
घास पर पडी उस एक ओस बूँद को
कितनी खूबसूरत है
मिट्टी की खुशबू
माँ को सजाएँ ....
हरी -हरी चुनरी पहनाएँ
देती आ रही सदियों से वो जो हमें
आओ मिलकर कर्ज चुकाएँ ।
शुभा मेहता
21st April ,2022
बहुत सुन्दर और भावपूर्ण प्रस्तुति प्रिय शुभा जी।सच में धरती माँ का खोया वैभव लैताने का समय है,जिसके लिए सामूहिक प्रयास की जरुरत है।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय सखी रेणु जी ।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(२३-०४ -२०२२ ) को
'पृथ्वी दिवस'(चर्चा अंक-४४०९) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद आलोक जी ।
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteवाह!!!
ReplyDeleteविश्व पृथ्वी दिवस पर हुत ही लाजवाब सृजन
आओ ,आज सब मिलकर
माँ ,धरती का सम्मान करें ।
बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteबहुत सुंदर भाव दी। प्यारी.कविता।
ReplyDeleteधरती माँ का सम्मान करे तो सभी समस्याओं का वैसे ही निराकरण हो जाये।
सादर।
बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता ।
Deleteपृथ्वी दिवस पर हुत ही लाजवाब सृजन
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