Friday, 29 April 2022

मजदूर (लघुकथा )

"पापा ये मजदूर कौन होते है "?नन्ही रानी नें अपने पापा से प्रश्न किया ।
बेटा, जो दिनभर मेहनत करते है ,मजदूरी करते हैं ।जैसे बोझा उठाना ,घरों में काम करना और भी बहुत से काम ।
वो देखो सामनें घर बन रहे हैं न ,देखो.... बहुत से लोग सिर पर ईँट ;पत्थर लिए इधर  से उधर जा रहे हैं वो सब मजदूर हैं।ये लोग दिनभर मेहनत करते हैं और पैसे कमाते है और अपना जीवन चलाते हैं।
 अच्छा .......इसका मतलब माँ भी मजदूर है वो भी दिनभर सबका काम करती है, डाँट भी खाती है ,पर उसे तो कभी पैसे नही मिलते ।
 वो अलग तरह की मजदूर है क्या ?

शुभा मेहता 
30th April ,2022

15 comments:

  1. हृदय को छूती मार्मिक लघुकथा। मासूम मन में उठे प्रश्न करीने से उकेरे है।
    बेहतरीन 👌

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार (1-5-22) को "अब राम को बनवास अयोध्या न दे कभी"(चर्चा अंक-4417) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
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    कामिनी सिन्हा

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी कामिनी जी।

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  3. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय ।

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  4. मार्मिक लघुकथा

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    1. बहुत-बहुत आभार ओंकार जी ।

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  5. दिल को छूती बहुत सुंदर लघुकथा।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति

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  6. सुंदर लघु कथा आदरणीय ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  7. मर्मस्पर्शी गहन भाव !!

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद

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  8. बहुत ही हृदयस्पर्शी लघुकथा
    वाह!!!

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