आई ऋतु बसंत की मनभावन,
हर कयारी है महक रही ,
चिड़िया दिश-दिश चहक रही ।
हरियाली संग खिले फूल हैं ,
पीले-पीले चारों ओर ,
गूँज रही टोली भँवरों की,
डाल -डाल पर कुहके कोयल ,
नाच रहे हैं मोर ।
देख प्रकृति की यह शोभा ,
झूम उठा है मन मेरा भी ।
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