किसके पदचिन्हों का
करूँ अनुसरण
यहाँ तो पदचिन्हों का जमावडा है ,
छोटे -बडे ,टेढे -मेढे
सब एक दूसरे में गड्डमड्ड
दिखाई नहीं दे रहा कुछ साफ
करना चाह रही हूँ
अपनी सोच से मैच ..
कोई तो होगा पदचिन्ह ऐसा
चल सकूँ पीछे जिसके ..
कर सकूँ अनुसरण जिसका ।
ना -ना ये समाज के ठेकेदार
जो करते सदा मनमानी
चूसते लहू गरीबों का
या कोई नेता -अभिनेता
ना कोई बडा-बुजुर्ग
जिसने घर की ,समाज की नारी को
दिया हो दर्जा बराबरी का ..।
ढूँढने होगें ऐसे पदचिन्ह
अनुसरण करनें पर जिसका
गर्वान्वित मैं हो सकूँ
कर सकूँ कुछ खास
जमाने के लिए......
छोड सकूँ कुछ
अपने भी पदचिह्न
आने वाली पीढी के लिए ।
शुभा मेहता
31st ,July ,2020
Nhi aaj kahin bhi koi bhi aeisa padchinnh nhi hai jo anusarniy ho satta lolup logon ka jamavada hai bas bahut hi khoobsurati se yatarth ka chitran kiya hai seedhi saral bhasha me saari baat kitni sahajta se kah daali wah bahen bahut khoob deerghayu ho bahut bahut ashirwad aur snehashish
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय । जी जरूर आऊँगी ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteढूँढने होगें ऐसे पदचिन्ह
ReplyDeleteअनुसरण करनें पर जिसका
गर्वान्वित मैं हो सकूँ
कर सकूँ कुछ खास
जमाने के लिए......
छोड सकूँ कुछ
अपने भी पदचिह्न
आने वाली पीढी के लिए ।
वाह!!!!
बहुत ही उत्कृष्ट एवं लाजवाब सृजन।
बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 03 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteकर सकूँ कुछ खास
ReplyDeleteजमाने के लिए......
छोड सकूँ कुछ
अपने भी पदचिह्न
आने वाली पीढी के लिए ।
वाह! सुंदर!!!
धन्यवाद विश्वमोहन जी ।
Deleteसुन्दर सृजन।
ReplyDeleteधन्यवाद सर ।
Deleteविचारों का गहन मंथन करती बहुत सुंदर रचना शुभा जी।
ReplyDeleteअप्रतिम।
बहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
Deleteपदचिन्ह .......?
ReplyDeleteकिसके पदचिन्हों का
करूँ ,,,,,,,,बहुत सुंदर रचना ।
बेहतरीन रचना सखी
ReplyDeleteअपनी राह खुद बनाना ही अच्छा है ... किसी पे पदचिन्ह भटका देते हैं राह ...
ReplyDeleteचिंतन से उपजे भाव ...