Monday, 2 May 2022

माँ ...

माँ........
मेरी क्या बिसात 
जो लिख पाऊं कुछ 
तेरे लिए ,तेरे बारे मेंं
तू तो है मेरी जीवन धार 
ये मेरा जीवन है 
तुझ पर निसार 
 मन तो अभी भी करता है 
  तेरी गोद में सोने का 
   मैं करूँ बदमाशी और तू 
    डाँट लगाए ...
    तेरी तो वो डाँट भी लगती 
      बहुत मीठी सी ...
        और गुस्सा होते -होते 
         जो तेरा हौले से मुस्कुराना 
         फिर बैठा अपनी गोद में 
         प्यार से सहलाना 
          माँ तू तो है ही 
           कितनी प्यारी 
           मेरी क्या बिसात 
           जो लिख पाऊँ कुछ 
            तेरे बारे में ।

    शुभा मेहता 
     3rd May ,2022


24 comments:

  1. ''माँ अपने आप में एक पूरा ब्रह्माण्ड हैं'',

    बहुत ही सुन्दर ll

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी ।

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  2. शुभा दी, माँ तो बस माँ होती है। बहुत सुंदर रचना।

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    1. धन्यवाद ज्योति ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सर ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी

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  5. सच माँ का स्नेह लिखे वह शब्द कहाँ?
    बहुत ही सुंदर।
    सादर

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी

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  7. सही कहा शुभा जी माँ के व्यक्तित्व को शब्दों में समेट लें ऐसे शब्द ही नहीं ।
    सुंदर सृजन।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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  8. भावमय करते शब्‍द ... मन को छूती प्रस्‍तुति शुभा जी बहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आया ..बहुत अच्छा लगा

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी

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  9. माँ की महिमा दर्शाते सुंदर शब्द...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद विकास जी ।

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  10. वाह बहुत ही सुंदर

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी

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  11. इतना लिख के भीकम है माँ के लिए ... ये सच्चाई है ...

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    1. धन्यवाद दिगंबर जी ।

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  12. माँ को लिखने की बिसात कहाँ
    बहुत सुन्दर सृजन।

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  13. सच में मां को कौन सी लेखनी लिखने में सक्षम है। माँ के लिए बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय शुभा जी 🙏

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