Wednesday, 18 May 2022

कुछ अनकहा ...

कुछ अनकहा सा ...
 रह जाता है 
  जिंदगी यूँ ही 
   गुज़रती जाती है 
  उस अनकहे की टीस 
   सदा उठती रहती है 
    क्यों रह जाता है 
    कुछ अनकहा ...
     काश , कह दिया होता 
      ये टीस तो न उठती 
       जो होता देखा जाता 
         ये दर्द तो ना मिलता 
           शायद मिला ही नहीं 
          कोई हमज़ुबाँ ..
           या कभी सोचा ही नहीं
           कि कह डालें .....
             ये अनकहा ....
              अब कहाँ......
              शायद ...साथ ही 
            ले जाएँगे ये अनकहा .....।

      शुभा मेहता 
  19th May ,2022

36 comments:


  1. जी नमस्ते ,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२०-०५-२०२२ ) को
    'कुछ अनकहा सा'(चर्चा अंक-४४३६)
    पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है।
    सादर

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता

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  2. उस अनकहे की टीस
    सदा उठती रहती है ......यही टीस वेदना बनकर भावों के धरातल को निरंतर आप्लावित करते रहती है।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद विश्व मोहन जी

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  3. बहुत ख़ूब ! इस अनकहे की वजह से बहुत कुछ अनचाहा हो जाता है और जो चाहा था, वह नहीं हो पाता.

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय गोपेश जी .

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  4. इस अनकही पीड़ा से जोड़ने के लिए आभार शुभा जी ।
    ये अनकहा तो शायद जीवन का हिस्सा है को कहना है वो या तो देर में समझ आता है या कहा नहीं जाता है ।
    सराहनीय कृति ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद जिज्ञासा ।

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  5. अक्षर अक्षर सत्य की उद्घोषणा कर रहे हैं,
    पर कभी कभी अनकहा बहुत से रिश्तों को बचा लेते हैं।
    बहुत सुंदर सृजन शुभा जी।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।

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  6. आज फिर किरिचियाँ ज़िंदगी की
    तन्हाई में भर गयीं।
    कुछ अधूरी ख़्वाहिशों की छुअन से
    चाहतें सिहर गयीं।।
    ------
    बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी।
    सादर।

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    1. वाह!श्वेता ..👌👌 क्या खूब कहा । धन्यवाद ।

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  7. सच मैं जिन्दगगी अनकही सी बीत रही है
    बहुत सुंदर

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी

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  8. पर कसकती टीस सब कहती रहती है। सुन्दर सृजन।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद अमृता जी ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी ।

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  10. इस अनकही पीड़ा से हमेशा गुजरना पड़ता है

    मन को मथती रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सर

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  11. सराहनीय सृजन।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी ।

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  12. अनकहा मन को बहुत परेशान करता है , कभी कभी सारी जिंदगी इस अनकहे में बीत जाती है और सालों साल बीतने के बाद अफसोस होता है कि काश कह दिया होता ।
    अच्छा सृजन जो सब कुछ कह रहा है ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी

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  13. मन का अनकहा ही
    जीवन को सृजनात्मक गति देता है

    सुंदर रचना

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद सर

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  14. शुभा दी, हर व्यक्ति के जीवन मे ऐसे कुछ अनकहे होते है। काश यदि हमारी जिंदगी में ये अनकहे न होते तो जिंदगी कितनी खूबसूरत होती।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति ।

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  15. नमस्कार शुभा जी बहुत खूब लिखा
    बडे दिन हो गये
    आप का आगमन नही हुआ ब्लोग पर
    https://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  16. बहुत कुछ रह जाता है अनकहा…, वही अनकहे भाव सुन्दर सृजन के प्रेरणास्रोत भी होते हैं ।बहुत सुन्दर सृजन शुभा जी !

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  17. वक़्त कई बात बिना दस्तक दिए आ जाता है ... मन को बात जितना जल्दी हो कह देना ही अच्छा ...

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  18. सही कहा बहुत कुछ अनकहा रहता है जीवन में...कहीं पर अनकहे का पछतावा तो कहीं कहीं अनकहा बेहतर भी हो जाता है कहने से...
    बहुत ही सुन्दर सृजन।

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  19. सुंदर भावपूर्ण रचना! अनकहा था तभी न कविता बनी

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  20. सच कितना भी कह लोग दुनिया से लेकिन कुछ न कुछ अनकहा रह ही जाता है मन के किसी कोने में
    बहुत सुन्दर ,,,,,

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  21. शायद ये अनकहा ही जीवन में सृजन के कई द्वार खोलता है।शायद जो कहा नहीं गया वही लिखा गया, वही गाया गया।बेहतरीन रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं ओरिय शुभा जी 🙏♥️♥️

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