रह जाता है
जिंदगी यूँ ही
गुज़रती जाती है
उस अनकहे की टीस
सदा उठती रहती है
क्यों रह जाता है
कुछ अनकहा ...
काश , कह दिया होता
ये टीस तो न उठती
जो होता देखा जाता
ये दर्द तो ना मिलता
शायद मिला ही नहीं
कोई हमज़ुबाँ ..
या कभी सोचा ही नहीं
कि कह डालें .....
ये अनकहा ....
अब कहाँ......
शायद ...साथ ही
ले जाएँगे ये अनकहा .....।
शुभा मेहता
19th May ,2022
ReplyDeleteजी नमस्ते ,
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार(२०-०५-२०२२ ) को
'कुछ अनकहा सा'(चर्चा अंक-४४३६) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है।
सादर
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता
Deleteउस अनकहे की टीस
ReplyDeleteसदा उठती रहती है ......यही टीस वेदना बनकर भावों के धरातल को निरंतर आप्लावित करते रहती है।
बहुत-बहुत धन्यवाद विश्व मोहन जी
Deleteबहुत ख़ूब ! इस अनकहे की वजह से बहुत कुछ अनचाहा हो जाता है और जो चाहा था, वह नहीं हो पाता.
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय गोपेश जी .
Deleteइस अनकही पीड़ा से जोड़ने के लिए आभार शुभा जी ।
ReplyDeleteये अनकहा तो शायद जीवन का हिस्सा है को कहना है वो या तो देर में समझ आता है या कहा नहीं जाता है ।
सराहनीय कृति ।
बहुत-बहुत धन्यवाद जिज्ञासा ।
Deleteअक्षर अक्षर सत्य की उद्घोषणा कर रहे हैं,
ReplyDeleteपर कभी कभी अनकहा बहुत से रिश्तों को बचा लेते हैं।
बहुत सुंदर सृजन शुभा जी।
बहुत-बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
Deleteआज फिर किरिचियाँ ज़िंदगी की
ReplyDeleteतन्हाई में भर गयीं।
कुछ अधूरी ख़्वाहिशों की छुअन से
चाहतें सिहर गयीं।।
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बेहतरीन भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी।
सादर।
वाह!श्वेता ..👌👌 क्या खूब कहा । धन्यवाद ।
Deleteसच मैं जिन्दगगी अनकही सी बीत रही है
ReplyDeleteबहुत सुंदर
बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी
Deleteपर कसकती टीस सब कहती रहती है। सुन्दर सृजन।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद अमृता जी ।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी ।
Deleteइस अनकही पीड़ा से हमेशा गुजरना पड़ता है
ReplyDeleteमन को मथती रचना
बहुत-बहुत धन्यवाद सर
Deleteसराहनीय सृजन।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी ।
Deleteअनकहा मन को बहुत परेशान करता है , कभी कभी सारी जिंदगी इस अनकहे में बीत जाती है और सालों साल बीतने के बाद अफसोस होता है कि काश कह दिया होता ।
ReplyDeleteअच्छा सृजन जो सब कुछ कह रहा है ।
बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी
Deleteमन का अनकहा ही
ReplyDeleteजीवन को सृजनात्मक गति देता है
सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद सर
Deleteशुभा दी, हर व्यक्ति के जीवन मे ऐसे कुछ अनकहे होते है। काश यदि हमारी जिंदगी में ये अनकहे न होते तो जिंदगी कितनी खूबसूरत होती।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति ।
Deleteवाह..!
ReplyDeleteनमस्कार शुभा जी बहुत खूब लिखा
ReplyDeleteबडे दिन हो गये
आप का आगमन नही हुआ ब्लोग पर
https://sanjaybhaskar.blogspot.com
बहुत कुछ रह जाता है अनकहा…, वही अनकहे भाव सुन्दर सृजन के प्रेरणास्रोत भी होते हैं ।बहुत सुन्दर सृजन शुभा जी !
ReplyDeleteवक़्त कई बात बिना दस्तक दिए आ जाता है ... मन को बात जितना जल्दी हो कह देना ही अच्छा ...
ReplyDeleteसही कहा बहुत कुछ अनकहा रहता है जीवन में...कहीं पर अनकहे का पछतावा तो कहीं कहीं अनकहा बेहतर भी हो जाता है कहने से...
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर सृजन।
सुंदर भावपूर्ण रचना! अनकहा था तभी न कविता बनी
ReplyDeleteसच कितना भी कह लोग दुनिया से लेकिन कुछ न कुछ अनकहा रह ही जाता है मन के किसी कोने में
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ,,,,,
शायद ये अनकहा ही जीवन में सृजन के कई द्वार खोलता है।शायद जो कहा नहीं गया वही लिखा गया, वही गाया गया।बेहतरीन रचना के लिए बधाई और शुभकामनाएं ओरिय शुभा जी 🙏♥️♥️
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