Friday, 11 April 2014

-मन की आवाज़

क्या बात है आज बड़ी खुश नजर आ रही हो ?
  हाँ ,बात ही कुछ ऐसी है ।
   अच्छा ,हम भी तो सुनें क्या बात है ?
     अरे आज हमारे पडौस में से सुबह से ही जोर-जोर से लडने-झगडने और बच्चों के चिल्लाने की आवाजें आ रही है ।
    पर इसमें खुश होने की क्या बात है ?
    तुम भी ना --
    अरे ,तुम क्या जानों पिछले एक -दो महीने से हमारे पडौस के इस घर में शांति है ।न लडने-झगडने की आवाज़ और न ही बच्चों का शोरगुल । जैसे सब खामोश से हो गए हो ।सब कुछ अजीब सा ,शांत-शांत ।
    मुझे तो तभी लगने लगा था जरूर कोई बात है । सुना है  दोनो अलग होने की सोच रहे हैं । इसका असर बच्चों पर भी हो रहा है । वे तो मानो हँसना-खेलना भी भूल गए हैं ।
   और आज अचानक फिर से सुबह-सुबह वही लडने -झगडने की आवाजें, बच्चों का शोर सुनाई दिया तो लगा कि जैसे एक घर टूटने से बच गया  और इसीलिये मैं इतनी खुश हूँ समझी । 

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