सुबह का काम निपटा कर हम चारों सहेलियां अब शांति से बैठ कर चाय पी रहे है एकदम रिलैक्सड.......।
सुना है सामने वाले घर में नये किराएदार आ गए है ।
अच्छा... कौन है ?कहाँ से आए है ? बच्चे है या नहीं? अच्छा कैसी दिखती है ?अरे मैंने तो देखा ही नही ?
अरे...साँस तो ले लो ।
हाँ ,मगर मुझसे तो रहा ही नही जाता ।
चलो ठीक है वैसे भी मेरी तो आदत ही नहीं है किसी की पंचायत करने की । मैं भली और मेरा काम भला । चलो चलती हूँ ।
उसके जाने के बाद-अरे देखो न ,कैसे दूसरों की पंचायत कर रही थी
हाँ ....उसकी तो आदत ही ऐसी है ।
पर एक बात तो है नई पडौसन है बड़ी टिपटोप । लगता है उसका हसबैंड बड़ी कंपनी में काम करता है ।
हाँ दो-दो तो गाडियां है ।
चलो किसी बहाने मिलने चलते हैं ।
अरे नही ।
तभी माँ पूजा खत्म करके गाती हुई बाहर आई -मुझे कया काम दुनिया से .........
चलो कल मिलते है ।
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