कितना सुंदर दिखता है
और सितारे इत्ते सारे ..
यहाँ कहाँ से आ गए ?
पहले तो कभी ना देखे ..
इतने चमकीले से तारे
नन्ही गुडिया पूछ रही थी
प्रश्न थे मन में ढेर सारे।
मैं बोली ,बिटिया रानी
रहते आजकल सभी घरों
ना है गाडियों की हलचल
धुआँ ,गंदगी हो गई है कम
इसीलिए आकाश है साफ
चाँद चमकता ,तारे दिखते
आई कुछ समझ में बात ।
प्रश्न एक फिर उसनें दागा
बोली ..क्या जब सब ,
हो जाएगा पहले जैसा
चंदा फिर से होगा धुंधला
और सितारे छिप जाएंगे ?
मुझे तो कोई उत्तर नहीं सूझा ,अगर आपको पता हो तो कृपया बताइये ..🙏
शुभा मेहता
Bahut acchi jigyasa aur prashann bhi bahut badhiya agar manushya ki samajh aur uske vyavhaar me parivartan aata hai toh chaand jaroor nazar aayega warna chaand ki kya bisaat jo dikh bhi jaaye lekin main positive soch rakhta hoon aur mera drid vishwas hai ki gudia ko chand tare sabhi kuch nazar aayebge 👏👏👏👏😘😘😘😘💐💐💐💐👍👍👍👍😊😊😊😊
ReplyDeleteसुनो मेरी रानी बिटिया
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विकाशपथ पर बढ़ता मानव ज्ञान
स्वार्थवश नहीं रखता कोई ध्यान
प्रदूषण का उड़ाता दानवी यान
पर तुम ही देख लो न अनोखा
प्रकृति का यह स्वच्छता अभियान
इसलिए सदा रखो यह विश्वास
ये चंदा तारे सारे प्रकृति की श्वास
सृष्टि है जबतक ये चमकते रहेंगे
आसमान के माथे दमकते रहेंगे
धुँयें में छिपे हों या बादल में
तुम जब भी चाहोगी देखना
तुम्हारी आँखों में जगमगायेंगे
तुम्हारी हँसी में खनकते रहेंगे
☺️
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वाह!श्वेता ,बहुत सुंदर उत्तर दिया आपनें 👌
Deleteजी दी आपका स्नेह है बिटिया के मासूम प्रश्न आपकी लेखनी के माध्यम से सरल,सहज शब्दों में मर्म बींध गये।
Deleteबहुत सुंदर रचना दी आपकी।
दरसल इसका उत्तर सिर्फ और सिर्फ हमारे पास ही है ... हमने ही किया है इसको धुंधला ... हम खुद से ही शुरुआत नहीं करना चाहते ... अपना पार्ट जरूर करना चाहिए ... गहरा प्रश्न है ये ... भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।
Deleteसुंदर भावाभिव्यक्ति
ReplyDeleteधन्यवाद हिमकर जी ।
Deleteसादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (28 -4 -2020 ) को " साधना भी होगी पूरी "(चर्चा अंक-3684) पर भी होगी,
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
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कामिनी सिन्हा
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय सखी ।
Deleteनन्ही गुड़िया का प्रश्न बहुत गहरा है अब ये नयी पीढ़ी जो बेचारी शुद्ध वातावरण की कल्पना भी नहीं कर सकती थी क्योंकि उसने तो अशुद्ध वातावरण में आँखें खोली अब शुद्धता की परख करेगी और विज्ञान का नया आविस्कार...जिसमें वातावरण की शुद्धि की प्रमुखता होगी...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन।
धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteवाह !लाजवाब सृजन प्रिय सखी 👌
ReplyDeleteधन्यवाद प्रिय सखी ।
Deleteजीवन में आये इस बदलाव को साथ लेकर चलना होगा
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteगुड़िया तो मासूम है, भोली है:
ReplyDeleteपर बाहर निकलते ही जो दिखने लगी है कायनात की रौनक,
उम्रदराज भी कहने लगे हैं कि कोरोना का आना अच्छा है
धन्यवाद गगन जी ।
Deleteबहुत खूब !! बाल मन की जिज्ञासु प्रवृत्ति कई बार बड़ो को निरूत्तर करती है । बेहद सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteधन्यवाद मीना जी ।
Deleteनन्ही गुड़िया की आँखों से झांकती समूचे जहान की हसरत!
ReplyDeleteधन्यवाद विश्ववमोहन जी ।
Deleteये चाँद सितारे पहले भी थे बस अपनी उलझनों को सुलझाने में इन्हें देखने का समय ही नहीं था हमारे पास।
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार ।स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर 🙏
Deleteसटीक रचना
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteहम समझ जायेंगे अगर
ReplyDeleteबदल लेंगे खुद को
सब रहेगा ऐसा ही
जैसा है आजकल
सुन्दर सृजन
बहुत-बहुत आभार सर ।
Deleteअतिसुंदर रचना शुभा जी🌷🙏
ReplyDeleteशुभा दी,क्या जब सब हो जाएगा पहले जैसा चंदा फिर से होगा धुंधला और सितारे छिप जाएंगे? इस सवाल का जबाब हम सबको मिल कर तलाशना होगा। यदि हम इस दिशा मे सोचेंगे तभी कुछ न कुछ निदान भी निकाल पाएंगे। सुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteबधाई
पढ़े--लौट रहे हैं अपने गांव
बहुत खुबसूरत
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteBahut sundar likha hai apne in ache vichar ko
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