Sunday, 1 December 2013

मेरी सहेलियां

मै,खुशी,मुस्कान और हँसी बचपन की सहेलियां हैं । हमेशा साथ-साथ ।जाहिर है जहाँ खुशी है वहाँ हँसी और मुस्कान तो होंगे ही । इन दोनो के साथ बचपन कैसे बीत गया पता ही नहीं चला । इस बीच एक नई सहेली से मुलाकात हुई जिसका नाम है चिंता । इतनी चिपकू है कि पीछा ही नही छोडती अकसर रात को आ धमकती है  और फिर सोने भी नही देती । इससे लाख बचना चाहो किसी न किसी बहाने से आ ही जाती है । इसके आते ही मेरी दोनो पुरानी सहेलियाँ तो भाग ही जाती हैं पर मै नही भाग पाती क्योंकि इसकी पकड़ जो इतनी मजबूत है । जब भी ये आती साथ अपने साथियो -सिरदर्द,डिप्रेशन आदि को लेकर ही आती है ।
  कल ही मैने अपनी पुरानी सहेलियों को याद किया तो वे बोली-जबतक ये चिंता है हम कैसे आएं । मैने भी निश्चय कर लिया कि इसे अब भगाना ही होगा ताकि मुझे अपनी पुरानी सहेलियाँ फिर से मिल सके और जीवन का सच्चा आनन्द मिले ।

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