कौन कहता है कि बचपन ,
फिर से लौट नहीं आता ।
आज जब भी मैं खेलती हूँ
अपनी "आन्या',के साथ,
लगता है जैसे मुझे मिल गया,
फिर से मेरा बचपन ।
कभी दौड़ा-दौडी ,कभी पकडा-पकडी ,
कभी गुड्डा-गुड्डी ,कभी खाना -वाना,
कभी मुसकुराना, कभी खिलखिलाना ।
लगता है जैसे वो बचपन मेरा,
लो फिर आ गया है,
मेरा हाथ थामे चला जा रहा है ।
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