Friday, 27 December 2013

बचपन

कौन कहता है कि बचपन ,
    फिर से लौट नहीं आता ।
     आज जब भी मैं खेलती हूँ
      अपनी "आन्या',के साथ,
      लगता है जैसे मुझे मिल गया,
        फिर से मेरा बचपन ।
     कभी दौड़ा-दौडी ,कभी पकडा-पकडी ,
      कभी गुड्डा-गुड्डी ,कभी खाना -वाना,
        कभी मुसकुराना, कभी खिलखिलाना ।
         लगता है जैसे वो बचपन मेरा,
       लो फिर आ गया है,
        मेरा हाथ थामे चला जा रहा है ।

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