Thursday, 3 October 2013

ये बच्चे

 दोपहर के बारह बजे होगें, मैं बाहर से आ रही थी, तब देखा शर्मा अंकल अपने दो वर्ष के पोते को लेकर नीचे बगीचे में खड़े थे
मैंने जिज्ञासावश पूछा,अंकल इतनी गर्मी में इसको लेकर कैसे?

वे बोले,अरे इसे अभी से नींद आ रही है अगर अभी सो गया तो सारी दोपहर किसी को सोने नही देगा ।बच्चे को देखा तो नींद से आखें बोझिल थी। मन में सवाल उठा कयूँ करते हैं हम ऐसा? अपने आराम के चक्कर मे बच्चे को अपनी नींद नहीं सोने देना कहाँ तक उचित है?
  
सीढ़ी चढकर अभी अपने घर पहुंच ही रही थी कि पडौस के घर से आवाज़  सुनाई दी  पूरे दिन बस  कार्टून देखता रहता है और कुछ काम नहीं है। पर कया इसके लिये  माता पिता जिम्मेदार नही है? कयोंकि जब बच्चा छोटा होता हैं तब,अपना काम निपटाने के लिये हम उसे कार्टून दिखाते हैं फिर धीरे धीरे बच्चे को उसमें मजा  आने लगता है और फिर वह पूरे समय वहीं देखना चाहता है। फिर हम उसे डांटना शुरू कर देते हैं । बच्चे भी हमारे दोगले व्यवहार से परेशान हो जाते हैं फिर धीरे धीरे उनकी मनमानी शुरू हो जाती हैं। इसलिए हर माता पिता का कर्तव्य बनता है कि बच्चों पर अपनी इचछाएँ न लादी जाएँ अपितु उनके साथ संतुलित  व्यवहार किया जाए  । हाँ उनके थोड़े बड़े होने  पर सही गलत का ज्ञान कराना व सही राह दिखाना जरूरी है पर कयो न इन छोटी छोटी बा तों पर उन्हें अपनी मरजी से जीने दिया जाए।

3 comments:

  1. Behadd suljha aur gyan vardhak bhasha pravanta aur shaily atyant prabhavshali
    Likh aur khoob likh bahen

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  2. Behadd suljha aur gyan vardhak bhasha pravanta aur shaily atyant prabhavshali
    Likh aur khoob likh bahen

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